🕉️ “सावन का महीना – शिव भक्तों के लिए सबसे पवित्र समय”….

भारतवर्ष में हर मास का एक विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है, लेकिन सावन मास को जो स्थान मिला है, वह अद्वितीय है। यह केवल वर्षा का मौसम नहीं होता, बल्कि भक्ति, तपस्या, और ध्यान का पवित्र समय होता है। विशेषकर यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, जिन्हें कालों के काल, भोलेनाथ कहा जाता है।
सावन के महीने में भक्तों की श्रद्धा चरम पर होती है। मंदिरों में घंटियों की गूंज, शिवलिंग पर जलाभिषेक, और “ॐ नमः शिवाय” के मंत्र से वातावरण पवित्र हो उठता है।
सावन 2025 में कब से शुरू हो रहा है..
वर्ष 2025 में सावन मास की शुरुआत 26 जुलाई से होगी और यह 24 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस पावन मास में कुल 5 सोमवार आएंगे, जो भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
🌧️ सावन क्यों है विशेष?
सावन (श्रावण) हिन्दू पंचांग का पाचवां महीना है। मान्यता है कि इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें हलाहल विष निकला था और भगवान शिव ने उस विष को पीकर समस्त सृष्टि की रक्षा की थी। इसके परिणामस्वरूप उनका कंठ नीला हो गया और वे “नीलकंठ” कहलाए।
इसलिए इस महीने में शिव की विशेष आराधना की जाती है ताकि वे अपने भक्तों को भी विषैले विचारों, पापों और जीवन की कठिनाइयों से रक्षा करें।
🙏 सावन के सोमवार – व्रत और महिमा
सावन मास में आने वाले सोमवार को विशेष पुण्यदायी माना गया है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, और वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
सोमवार व्रत के लाभ:
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अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए व्रत रखती हैं
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विवाहित महिलाएं पारिवारिक सुख और पति की लंबी उम्र के लिए
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पुरुष अपने कार्य, धन और संतान की प्राप्ति के लिए
🔱 शिव पूजा की विधि – सावन में कैसे करें आराधना?
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प्रातः स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें
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शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित करें
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“ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
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धूप, दीप, फूल और फल अर्पित करें
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शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें
पूजन सामग्री में विशेष:
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बेलपत्र (3 पत्तियों वाला)
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सफेद फूल
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पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
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धतूरा और भांग (सावधानीपूर्वक अर्पित करें)
🕯️ व्रत रखने की सही विधि
व्रती को दिनभर फलाहार पर रहना चाहिए, जल और दूध का सेवन कर सकते हैं। अगर पूरा उपवास संभव न हो, तो एक समय भोजन कर सकते हैं। दिन भर शिव नाम का स्मरण करें और शुभ कर्म करें।
💡 सावन में क्या करें और क्या न करें?
✔️ क्या करें:
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
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शिव मंदिर जाएं और अभिषेक करें
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सकारात्मक सोच रखें
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दान-पुण्य करें
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संयम और संतुलन रखें
❌ क्या न करें:
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मांस, मछली, शराब का सेवन
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झूठ बोलना, क्रोध करना
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बुरी संगति, अपवित्रता
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लहसुन-प्याज आदि का सेवन
🧘 सावन और ध्यान – आत्मशुद्धि का समय
सावन केवल पूजा और व्रत का महीना नहीं है, यह आत्मनिरीक्षण और ध्यान का भी समय है। बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच बैठकर अगर मन शांत किया जाए, तो भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। यह महीना हमें भीतर झांकने और अपने जीवन को दिशा देने का अद्भुत अवसर देता है।
आप यदि ध्यान या साधना शुरू करना चाहते हैं, तो सावन से अच्छा समय कोई नहीं।
🛕 कांवड़ यात्रा – एक भक्ति यात्रा
सावन में लाखों शिवभक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। वे गंगाजल लाकर उसे शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। ये यात्रा केवल पैदल यात्रा नहीं होती, बल्कि यह श्रद्धा, त्याग और तपस्या का प्रतीक है।
उत्तर भारत, विशेष रूप से उत्तराखंड, हरियाणा, बिहार, और उत्तर प्रदेश में यह यात्रा अत्यधिक प्रसिद्ध है।
सावन का महीना केवल एक मौसम नहीं, एक जीवनशैली है। यह हमें सिखाता है कि भक्ति में शक्ति है, संयम में शांति है और ध्यान में समाधान है। जो व्यक्ति इस महीने में शिव को सच्चे मन से स्मरण करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।